रमजान
रमजान

Ramadan 2033: मुसलमानों के लिए रमजाम इस्लामिक कैलेंडर (Islamic calendar) का नौंवा और पाक महीना होता है। इसमें रोजेदार पूरे महीने रोजा रखते हैं। मुस्लिम समुदाय (Muslim community) के लोगों को चांद के दीदार का बेसब्री से इंतजार रहता। सूरज ढलने के बाद सभी की नजरें आसमान की ओर ही रहती है कि कहीं से चांद मुबारक (Chand Mubarak) की खबर आ जाए। लेकिन 22 मार्च को रमजान का चांद नजर नहीं आया। ऐसे में प्रमुख मुस्लिम संस्थाओं की ओर से ऐलान किया गया कि, अब जुम्मा यानी शुक्रवार (24 मार्च) के दिन से रोजा की शुरुआत होगी।

इस्लाम धर्म में रमजान के महीने का महत्व बताते हुए कहा गया है कि, इस महीने की गई इबादत से अल्लाह खुश होते हैं और रोजा रखकर मांगी गई हर दुआ कुबूल होती है। वहीं यह भी माना जाता है कि, अन्य दिनों के मुकाबले रमजान में की कई इबादत का फल 70 गुणा अधिक मिलता है। रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इसमें रोजेदार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं।

हिंदू पंचांग में जिस तरह से सूर्योदय या उदयातिथि के अनुसार व्रत-त्योहार तय किए जाते हैं। ठीक इसी तरह इस्लामिक कैलेंडर में चांद का महत्व होता है और इसी के आधार पर त्योहार तय होते हैं। रमजान के साथ ही कई त्योहार मनाने से पहले चांद देखा जाता है। अगर किसी कारण चांद दिखाई नहीं देता तो उस महीने की तारीख ए कमरी के आधार पर त्योहार मनाया जाता है।

इसलिए खास है रमजान का महीना-

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिसे बहुत ही पाक महीना माना गया है। मान्यता है कि, रमाजान के महीने में ही पैगंबर मोहम्मद साहब को खुदा से कुरान की आयतें मिली थीं। इसलिए रमजान में रोजा रखकर लोग अल्लाह का शुक्रिया और इबादत करते हैं। रमजान का चांद नजर आने के बाद 29 या 30 रोजा मुकम्मल होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है।

रमजान के पहले रोजे की सहरी और इफ्तार का समय-

शुक्रवार 24 अप्रैल को रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा। सुबह 05ः01 पर सहरी की जाएगी और शाम में इफ्तार 06ः37 पर होगा।

रमजान में जुबान के साथ ‘नजर’ का भी होता है रोजा

रोजा रखने के लिए सहरी और इफ्तार के नियमों का पालन करना चाहिए और पूरे दिन कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। लेकिन इसी के साथ नजर का रोजा भी मकरूह न हो इसका ध्यान रखें। इसलिए रोजा में किसी को गलत निगाहों से नहीं देखना चाहिए। इससे भी रोजा टूट सकता है।

22 मार्च को रमजान का चांद नजर नहीं आया। वहीं प्रमुख मुस्लिम संस्थाओं की ओर से ऐलान किया गया कि, जुम्मा यानी शुक्रवार के दिन से रोजा की शुरुआत होगी। ऐसे में पहली रमानुकूल मुबारक 24 मार्च को होगी।

रमजान में रोजे के नियम-

सेहरी से लेकर इफ्तार के बीच किसी भी चीज का सेवन नहीं करते।
बुरी आदतों को भी छोड़ना पड़ता है।

रोजे में बुरे विचार भी दिमाग में नहीं लाने चाहिए, इसे आंख, कान और जीभ का रोजा कहते हैं।

अगर आपने रोजा रखा है और आप दांत में फंसे खाने को निगल गए तो भी रोजा टूट जाता है।
रमजान में न करें ये काम
रमजान में संगीत सुनना, धूम्रपान करना, अवैध गतिविधियों के बारे में सोचना और लड़ाई-झगड़ा करने की अनुमति नहीं है।

इफ्तार क्या होता है: रजमान में रोजा खोलते समय खाए जाने वाले पहले भोजन को इफ्तार कहते हैं। अधिकतर लोग खजूर से ही रोजा खोलते हैं।

रोजा को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की घोषणा-

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से ट्वीट किया गया कि, ‘‘इमारत-ए-शरिया हिंद द्वारा घोषणा की गयी है कि रमजान का पहला दिन शुक्रवार 24 मार्च, 2023 से शुरू होगा। भारत में बुधवार शाम को रमजान का चांद नहीं देखा गया। इसलिए रमजान का पाक महीना आधिकारिक तौर पर शुक्रवार यानी जुमा के दिन से शुरू होगा‘‘।

क्या होती है सहरी-

रोजा के लिए सुबह सूर्योदय से पहले फर्ज की अजान के साथ सहरी ली जाती है। रमजान में सूर्योदय पहले खाने वाले भोजन को ही ‘सहरी’ कहा जाता है। रमजान शुरू होने के पहले ही पूरे महीने के लिए सहरी करने का समय भी निर्धारित कर दिया जाता है। इसी समय के अनुसार सहरी करनी होती है और पूरे दिन रोजा रखा जाता है।

रमजान के पाक महीने में करें ये नेक काम-

अल्लाह ताला ने आपको अगर इतना सामर्थ्य बनाया है कि आप दूसरों की मदद कर सकें तो रमजान के महीने में गरीब और जरूरतमंदों में सहरी और इफ्तार के लिए फल, भोजन, खजूर या जूस आदि का दान करें। इससे नेक काम रमजान में कुछ भी नहीं।

(Ramadan) इन पैसों से कभी न करें सहरी और इफ्तार

रमजान में इफ्तार और सहरी हमेशा ही मेहनत और ईमानदारी से कमाए गए पैसों से करनी चाहिए। गलत काम या बेईमानी से कमाए पैसों से सहरी और इफ्तार करने वाले को अल्लाह कभी मांफ नहीं करते।

तरावीह की नमाज

तरावीह वह नमाज है, जिसे रमजान के दौरान ही पढ़ा जाता है। चांद रात यानी चांद दिखने के दिन से ही इसकी शुरुआत हो जाती है और आखिरी रमजान तक इसे पढ़ा जाता है। तरावीह की नमाज सुन्नते मोक्किदा होती है। इसे मर्द और औरत दोनों पढ़ते हैं। रमजान में तरावीह न पढ़ना गुनाह माना जाता है।

इन 5 बातों का रखें ध्यान

सही समय पर सहरी और इफ्तार करें।

पांच वक्त की नमाज अदा करें।

रमजान के महीने में तरावीह की नमाज, ईशा नमाज के बाद पढ़ें।

इस पाक महीने में कोई भी ऐसा काम न करें जिससे दूसरे को दुख हो।

रमजान के महीने में अधिक से अधिक अल्लाह की इबादत करें।