Betul News: मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक ऐसा विवाह देखने को मिला है जिसमें एक युवक और एक युवती ने संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया। आम तौर पर आप ने देखा होगा कि लोगों की शादी में डीजे- बैंड आर्केस्टा के साथ बाराती नाचते है। लेकिन, बैतूल के युवा वकील दर्शन बुंदेला और उनकी दुल्हन राजश्री ने जाति का भेदभाव मिटाने के लिए संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया।
भारत के संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया-
बैतूल के युवा वकील दर्शन बुंदेला और उनकी दुल्हन राजश्री बचपन के दोस्त हैं और दोनों जातिवाद के घोर विरोधी रहे हैं। साथ ही इन दोनों की भारत के संविधान में गहरी आस्था है। इसी वजह से इन्होंने अपनी शादी में वरमाला से पहले भारत के संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और संविधान को साक्षी मानकर वरमाला डाली।
दर्शन बैतूल में वकालत करते हैं, जबकि राजश्री हरदा जिले के एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं। कॉलेज के दिनों से दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह रही देश और संविधान को लेकर दोनों की विचारधारा एक जैसी है। दोनों चाहते हैं कि देश की भावी पीढियां संविधान में निहित अपने अधिकारों को समझें और जातिवाद मुक्त समाज का निर्माण करें।
मेहमानों ने इस पहल की सराहना की-
इस शादी में जितने भी मेहमान आए थे उन सभी ने खड़े होकर संविधान की उद्देशिका का वाचन किया। मेहमानों ने दर्शन और राजश्री की इस पहल की सराहना की और उनके द्वारा दिये संदेश को हर नागरिक के लिए जरूरी माना। आपको बता दें कि संविधान को साक्षी मानकर विवाह करने का पहला मामला बैतूल में ही सामने आया था। जब तीन साल पहले यहां पदस्थ मध्यप्रदेश कैडर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने मलेशिया में भारत के संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था। इस तरह के प्रयासों से ये तो माना जा सकता है कि भारत के युवा संविधान को लेकर जागरूक हैं और युवाओं का देश भारत बदल रहा है।