भोपाल। मुकद्दस महीने का पहला रोजा और इसका जुमा के दिन होना लोगों को निहाल कर गया। शहर की सभी छोटी बड़ी मस्जिदों में जुमा की नमाज अदा करने के लिए नमाजियों के जत्थे निर्धारित समय से पहले ही पहुंचना शुरू हो गए थे। ताजुल मस्जिद, मोती मस्जिद और कई बड़ी मस्जिदों में भी नमाजियों की तादाद ने यहां जगह कम पड़ने के हालात बना दिए। नमाज से पहले और इसके पूरा होने के बाद शहर के मुस्लिम बहुल इलाके नमाजियों से लबरेज दिखाई दिए।

पहला रोजा उत्साह और उमंग के साथ

माह ए रमजान का पहला रोजा लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ पूरा किया। अल सुबह सेहरी के बाद मुस्लिम बहुल इलाकों में चहल पहल दिखाई दी। इसी तरह शाम होने से पहले इफ्तार सामान खरीदने निकले लोगों ने भी बाजारों को रौनक से भर दिया। सिंधी कॉलोनी चौराहा, डीआईजी बंगला, जहांगीराबाद शब्बन चौराहा, इमामी गेट जैसे कई इलाकों में इफ्तार के लिए फ्रूट्स की अस्थाई दुकानें लग गई हैं। इसी तरह काजी कैंप, लक्ष्मी टॉकीज, शाहजहानाबाद, इब्राहिमपुरा जैसे कई इलाकों में सेहरी के लिए दूध फैनी, बाकर खानी, शीरमाल की दुकानें सजी हुई हैं।

महिलाओं की तरावीह

शहर में कई स्थानों पर महिलाएं भी जमात से तरावीह अदा कर रही हैं। लोगों ने इसके लिए घरों, बड़े हॉल और अन्य स्थानों पर इंतजाम कर रखे हैं। यहां होने वाली तरावीह की अवधि 10, 14 या 21 दिन रखी गई है। इसके अलावा कई बड़े परिवारों ने अपने घरों के मेंबर्स के लिए भी अलग तरावीह के इंतजाम किए हैं। यहां नमाज अदा करने के लिए हाफिजों को खास तौर से पाबंद किया गया है।

कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, MP में 15 नए पॉजिटिव केस मिले

दुकानें ढंकी पर्दों से

शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित खानपान, चाय और पान दुकानों के आसपास परदे डाल दिए गए हैं। बीमारी या अन्य वजहों से रोजा न रख पाने वाले लोग रोजादारों का एहतराम रख सकें, इस धारणा के साथ ये व्यवस्था की गई है।

माह ए रमजान : मैं और मेरा रोजा

(जैसा कि तर्जुमा वाली मस्जिद के नाजिम मुफ्ती मोहम्मद अहमद साहब ने बताया।)

रहमत, बरकत, सखावत के महीने रमजान में आम दिनों में जारी रहने वाली कारगुजारियां कुछ तेज हो जाती हैं। जरूरतमंदों की मदद और सबके लिए भलाई की तहरीरें इस महीने के मिजाज के लिहाज से चार गुना बढ़ जाती हैं। मरकज पर पहुंचने वाले लोगों की तादाद इस महीने में आम दिनों से बहुत ज्यादा होती है। इनके लिए अलग अलग तरह के जरूरी इंतजामात करवाने की मसरूफियत बढ़ जाती हैं। इनके बीच रोजाना के रूटीन काम और रमजान के अरकान पूरे करने होते हैं। रोजा, नमाज, तरावीह, तिलावत के अलावा दुआओं का खास एहतमाम इस महीने में रहता है। इस माह में जरूरतमंदों की दस्तक भी बराबर लगी रहती है, उन सभी से मुलाकात और उनके लिए कुछ तसल्लीबख्श कर दिए जाने का सुकून भी साथ लेकर चलना होता है। इसके अलावा वालिद मोहतरम हजरत मुफ्ती रज्जाक खान साहब के पूरे सूबे में खड़े किए गए नेटवर्क पर भी ध्यान देना होता है। मुख्तलिफ जगहों पर मदारिस में होने वाले जलसे, मुकम्मल कुरआन, दस्तार बंदी, रोजा इफ्तार से लेकर फलाही कामों के वक्त भी मौजूदगी दर्ज कराने की मशक्कत बनी रहती है।

अल्लाह पाक ने एक तोहफे के तौर पर हमें और आपको ये मुबारक महीना अता किया है। रोजे, नमाज, तरावीह और तिलावत के साथ जरूरी है कि हम अपने कमजोर रिश्तेदारों, पड़ोसियों, मुहल्लेदार और शहरवासियों के लिए कुछ सखावत का निजाम बनाएं। इस एक महीने की हमारी दरियादिली अल्लाह की रहमतों के समंदर बहाने वाली साबित होगी, हमें इसका यकीन रखना चाहिए। जो बेहतर गिजा हम अपने और अपनों के लिए पसंद करते हैं, उनका कुछ हिस्सा उन मजलूमों तक भी पहुंचना चाहिए, जो इन नेमतों से महरूम हैं। सच बोलकर, बुराई से बचकर, लोगों से अच्छे अखलाक से पेश आकर, जरूरतमंदों की मदद करके भी हम रमजान की बेहतर रौनकें हम अपने नाम करवा सकते हैं।

भोपाल में सेहरी और इफ्तार

  • दूसरा रोजा, शनिवार 25 मार्च
  • इफ्तार : शाम 6.39 बजे
  • सेहरी : सुबह 4.41 बजे (इतवार)