भोपाल। नगर निगम का कहने को खुद का कॉल सेंटर है और अब तो मेयर हेल्प लाइन भी शुरु हो गई है इसके बावजूद लोग इस प्लेटफार्म की बजाए अपनी शिकायतों का निराकरण कराने के लिए सीएम हेल्प लाइन को ज्यादा तवज्जों देते है। रोजाना औसतन निगम के कामकाज से जुड़ी 500 शिकायतें आती है।
निगम की मानें तो सीएम हेल्प लाइन में पहले निगम के कॉल सेंटर से जुड़ी शिकायतों के बारे में भी पूछा जाता है। ऐसे में व्यक्ति कॉल सेंटर पर भरोसा न कर सीएम हेल्प लाइन केे जरिए समाधान चाहता है यही वजह है कि कई बार कॉल सेंटर पर भी शिकायत होती है लेकिन उसका समाधान हो उसके पहले व्यक्ति सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज करा देता है। इनमें से करीब 90 प्रतिशत शिकायतें अतिक्रमण,सड़कों पर गंदगी,सीवेज,जलकार्य और पड़ोसियों से हुए मनमुटाव के बाद आती हैै जिसमें कई शिकायतेें तो ऐसी होती है जिनमें पड़ोसी से लड़ाई के बाद उसके द्वारा किए गए अवैध निर्माण या कब्जे से जुड़ी होती है।
इसके अलावा स्ट्रीट लाइट से जुड़ी समस्या का समय पर समाधान न होने पर भी लोग सीएम हेल्प लाइन का दरवाजा खटखटाते है। वहीं खतरनाक पेड़ सहित अन्य मामलों की छोटी-छोटी शिकायतो के चलते निगम के पास सीएम हेल्प लाइन की औसतन 15 हजार शिकायतें माहवार होने लगी है। इस आधार पर देखा जाए तो सालभर में नगर निगम ने जुड़ी 2 लाख से ज्यादा शिकायतों का निपटारा निगम के अधिकारियों को करना होता है।
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भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतें बमुश्किल एक फीसदी भी नहीं-
उधर निगम में वार्ड, जोन और निगम मुख्यालय के अधिकारी, कर्मचारियों और अन्य भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की संख्या इस आंकड़े की एक फीसदी भी नहीं है। अधिकांश लोग निगम के कर्मचारी,अधिकारियों के काम काज पर सवाल नहीं उठाते है। यह अपने आप में निगम के लिए एक संतुष्टिभरा भाव कहा जा सकता है।
इनका कहना है: नगर निगम द्वारा शहर की जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा है। इसके लिए कई बार कुछ कारणों से देर हो जाती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि निगम जनहित से जुड़े मुद्दों के लिए गंभीर नहीं है। चूंकि सीएम हेल्प लाइन में छोटे-छोटे मुद्दों की शिकायत की जा रही है तो यह गलत परंपरा है। हम कोशिश करेंगे कि हमारे कॉल सेंटर से ही या मेयर हेल्प लाइन से ही लोगों की परेशानियों का हल हो जाए ताकि मामला सीएम हेल्प लाइन तक जाए ही नहीं। किशन सूर्यवंशी, निगम अध्यक्ष ।