भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महान वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी जी के बलिदान दिवस पर जबलपुर के बरगी में स्थापित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर देश की आजादी में दिए गए अमूल्य योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा, वीरांगना रानी अवंतीबाई जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने अस्तित्व की संपूर्ण क्षमता झोंककर अंग्रेजों से युद्ध किया और देश अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। ऐसी रानी मां के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन करता हूं।
रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना से इस क्षेत्र के गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए सर्वे कराया जाएगा। नहरों के जरिए यदि पानी नहीं पहुंचता है तो प्रेशराइज़्ड तकनीक से इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाएंगे: CM pic.twitter.com/ijHByD07Tc
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) March 20, 2023
बहुत छोटी उम्र में अंग्रेजों से लोहा लिया
बरगी, जबलपुर में आयोजित ‘रानी अवंतीबाई बलिदान दिवस समारोह’ को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरांगना रानी अवंती बाई ने बहुत छोटी उम्र में लगभग 4 हजार सैनिकों के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया। खेड़ी के युद्ध में रणचंडी बनकर उन्होंने अंग्रेजों को वहां से खदेड़ दिया था। देश की स्वतंत्रता में सर्वोच्च बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों के स्मारक बनाए जा रहे हैं। चाहे रघुनाथ शाह, शंकर शाह हों, चाहे भीमा नायक, टंट्या मामा हों, चाहे बिरसा भगवान को मध्यप्रदेश में सबके स्मारक बनाए जा रहे हैं।
समारोह में ने ऐलान किया कि, बलिदानियों की गाथाएं भावी पीढ़ियों तक पहुँचे व उनके जीवन से बच्चों को प्रेरणा मिले, इसके लिए रानी अवंतीबाई, रघुनाथ शाह, शंकर शाह की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।
इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाएंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना से इस क्षेत्र के गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए सर्वे कराया जाएगा। नहरों के जरिए यदि पानी नहीं पहुंचता है तो प्रेशराइज़्ड तकनीक से इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाएंगे।
मुख्यमंत्री ने वीरांगना अवंतिबाई लोधी की पुण्य-तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज वीरांगना अवंति बाई लोधी की पुण्य-तिथि पर नमन कर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। मुख्यमंत्री चौहान ने उनके योगदान का स्मरण भी किया। रानी अवंतिबाई लोधी वर्ष 1857 की क्रांति में सक्रिय रही और रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार बनी। उन्होंने अंग्रेजों से निरंतर संघर्ष किया। उनके साहस के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा, जिससे मंडला और रामगढ़ राज्य स्वतंत्र हो गया। अंग्रेजों ने नागपुर से रामगढ़ की ओर सेनाएँ भेजी।
अंग्रेजों की सेना के मुकाबले रानी अवंतिबाई की सेना काफी छोटी थी। अंग्रेज सेना ने मोर्चे पर डटी रानी अवंतिबाई को चारों ओर से घेर लिया। विवश रानी ने सीने में कटार भोंक कर जीवन त्याग दिया। उन्होंने अंग्रेंजों के हाथों से मरने की जगह सम्मानजनक विकल्प चुना। रानी अवंतिबाई ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए बलिदान कर स्वतंत्रता प्राप्ति की ज्वाला को प्रज्ज्वलित करने का कार्य किया। केन्द्र सरकार ने 20 मार्च 1988 को वीरांगना रानी अवंतिबाई की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया।